Wednesday, May 2, 2007

शुभकामना - पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी


वर्तमान युग सचमुच छत्तीसगढ़ के लिए भी नवजागरण काल हो गया है, छत्तीसगढ़ में नव-प्रतिभा का उन्मेष देख कर मुझे बड़ी प्रसन्नता होती है। साहित्य के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में छत्तीसगढ़ के तरुण साहित्यकार अपनी रचना-शक्ति का अच्छा परिचय दे रहे हैं। कुछ समय से छत्तीसगढ़ी भाषा को भी समुन्नत करने का स्तुत्य प्रयास हो रहा है। पं. शिवशंकर शुक्ल भी रायपुर के प्रतिभाशाली साहित्यकार हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में पहला उपन्यास लिखा है, उसका नाम है “दियना के अंजोर”। उसकी बड़ी प्रसिद्धि हुई। कितने ही विज्ञों ने उसकी बड़ी प्रशंसा की। “मोंगरा” उनका दूसरा उपन्यास है।

मेरी तो यही कामना है कि उनके द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा की श्रीवृद्धि हो और छत्तीसगढ़ की भी गौरववृद्धि हो


पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी

No comments: