Wednesday, May 2, 2007

अध्याय - सात


डेरहा डाग्डर ला लेके आइस। डाग्टडर हा देख के किहिस, के डराय के काहीं बात नइये। गरमी के मारे होगे हे, एला कोनो किसिम के दुख नई होना चाही। ओखर धुकधुकी हा कमजोर पर गेहे।

दुलरवा के तबियत सुधरे लगिस। ओखर पूरा-पूरा बने होय बर एक महीना लागगे। भौजी हा एक महिना ले दुलरवा के अबड़ेच सेवा करिस, फेर ओहर सोनकुंवर ला अखर गे। ओला अइसे लागिलस के अब ओखर कांही जरूरतेच नई ये। ओहा अपन मइके मं तार भेज दिस। मेंहर आय चाहत हंव। मोर मन उदास रहिथे।

सोनकुंवर के ददा आइस अऊ सोनकुंवर हा अपन मइके चलदिस। घर मां डेरहा ला छोड़ के कखरो मन नई हिरिस के सोनकुंवर हा अपन मइके जावय, फेर सोनकुंवर हा चलदिस।

एती दुलरवा हा फेर अपन बूता सम्हारै लागिस। दुलरवा के चिट्ठी लेखे उपर ले घलोक कांही जवाब नई आइस। दुलरवा समझगे ओहू हा चिट्ठी लिखई ला बने नई समझिस।

भौजी ल सोनकुंवर के जवई के बड़ दुख रिहिस। ओखर मन हा उतास राहय।

अरे भौजी कहां हस... आ हा... आज बर झट के मिल जाही। का बात ए ? अऊ उहू हा अतके झटके... ओहा जऊन पिड़हा मां भौजी बइठे हिरिस तौने मां एक कोनटा मां बइठगे।

भौजी हा कहिस चल रे, तेंहर बड़ दुष्ट हस, छुआ-छूत्ती काहीं ला नई जानस, कहां न कहां ले घूम के आय अऊ रंधनी मां खुसरगे।

दुलरवा हांसे लागय अऊ भौजी घलोक हा ओखर उपदरवी सुझाव के मारे अपन हांसी ला नई रोके सकिस।

दुलरवा ला रंधनी घर मां बइठेच-बइठेच अड़बड़ बेर होगे त भौजी हा झगना के कहिस – कस रे दुलरवा दूकान नई जाना ये कारे ? तेंहर त अब बिन संसो के होत जाथस, तोला अपन आघू मां दूसर के संकोच नई ये।

दुलरवा हा किहिस – तोला का हिजगा होथे, मेंहर त अपन भौजी तीर बइठे हौं।

भौजी काहय बड़ आय हस भौजी वाला, अरे जाना तोर भइया अकेल्ला होही।
हहो जात हौं। अऊ दुलरवा मुंह ला मटकावत चलदय।

तुलरवा अऊ डेरहा संगे रथिया घर आगे। डेरहा खाके अपन खोली मां अराम करत रिहिस। ऐती दुलरवा अऊ भौजी दूनो खाके उठिन। आगू भौजी पाछू दुलरवा दूनोच खोली मां पहुंचिन।

भौजी हा गिरीस – दुलरवा तेंहा जा, मोला आज अबड़ेच जोर के नींद लागत हे।

दुलरवा गरिस – फेर भौजी मोला ता नींद नई आत ए।

कस रे तोला नींद नई लागत ए त का महूं जागंव, नई बबा तें जा में त सुत हूं। अतका कहिते कहत भौजी अपन खटिया मां बइठगे। फेर दुलरवा गईस नई, उहू हा भुंइया मेर परे पोता मां बइठ गे।

भोजी हा चुगली करे असन कहिस – देखव त, दुलरवा हा नई मानत ए – मोला ऐखर चाल, बने नई लागय।

डेरहा हा कहगिस – भई येहा तुंहर रोज के गोठ आय। ते जान अऊ तोर दुलरवा।

आखिर भौजी ला बइठे बर परय। दुलरवा अऊ भौजी ओतेक बेर ले गप्पा छाड़त राहंय जबले डेरहे के नाक नई बाजे लागय।

सोनकुंवर के चल देय ले घलोक दुलरवा मां कांही फरक नई आइस। त का ओला सोनकुंवर के जरूरत नई रिहिस ए, रिहिस ए, काबर नई रिहिस हे।

ओहा चाहय अपन सोनकुंवर ला। ओला सोनकुंवर के जरूरत रिहिस हे। ओहा मया करय सोनकुंवर ला फेर पहिली भौजी तब सोनकुंवर। फेर सोनकुंवर अइसना नई चाहय। ओखर कहना रिहिस के तें मोर अस, अऊ तोला मोर रहना परही।

सोन कुंवर चल त दिस। फेर ओला उहों अराम नई मिलिस। ओहा रथिया चमक जाय। दुलरवा ओखर मन मां रस बस गेय रिहिस। ओहा फेर लहुट जाय के मन करय। फेर ओखर अपन गुरूर जाग जाय अऊ ओला लागय के ओखर देवता हा ओला लेगे बर जरुरे च आही।

सोनकुंवर ला जाय तीन महिना जगर हो गेय रिहिस। अब त दुलरवा के चिट्ठी घलोक नई आवय। ओला बिस्वास होय लागिस के ये सब्बो हा भौजी के चाल आय। ओखर मन मां फेर उही बड़ोरा आय लागय। अऊ ओहा बिचार के समुन्दर म उड़ाय लागय।

कहूं भौजी हा अपन बदनामी के डर मांच दुलरवा के बिहाव करिस हे। हे भगवान! कहूं ये हा सच होही त मोर जिंदगानी ही जरतेज जरत बितही।

एती दुलरवा के मन मां का गुजरिस, ओहू हा उदास रेहे लागिस। भौजी हगा ओला रोज टोकंय। अरे दुलवरा जाके ले आन ना बहु ला। काबर तैं मोर पीछू हाथ धोके परे हस। मेंरह जानत हंव अऊ समझत हौं के तेंहा मोर बेटा अस। फेर तेंहर ऐला नई जानस का, के येहर समाज मां गोठियास के गोठ हो जाही।

भौजी के ये गोठ ला दुलरहा नई सुने सकीस, ओला अन-सहऊ होगे। ओखर मन हा चिचिया डारिस भौजी... तेंहा मोर जिंदगानीच ला बदल देय। काबर करे मोर बिहाव भौजी... काबर करे...। फेर भौजी अतका खियाल राहय के मेंरह अपन भौजी ला कभूच दुख नई देय सकंव। तेंहर जानत हस सोनकुंवर हा काबर गईस हे ? ओहर चाहत रिहिस हे के मेंहर ओखर संग नवां घर बनावंव। भौजी मेंहर पहिलीच कई घांव केहे रेहेंव के मोर बिहाव झन कर, फेर तोर मारे काहींच नई चलिस...।

दुलरवा रो डारिस, भौजी मोला सोनकुंवर ले जादा तोर जरूरत हे। कहूं तहूं मोला नई पूछे त त दुलरवा कोनों मेर के नई रहही। फेर तेंहर उही समाज के रोना रोत हस। तेंहा डराथस काबर। ये लठगरा समाज ले, एखर त कामेच आय बनेला बिगाड़ना, अऊ िबगड़े ऊपर ले ठाड़े-ठाड़े गम्मत देखना। मेंहर अइसना समाज उप्पर थूकथंव, जेंहर सांप बरोबर फेन निकाले दांव देखत रहिथ। एहर उही समाज ए ना जौन हा मोला हीन समझय अऊ मेंहर बेवांरस मन के संग मां बेवांरस बने येती ले ओती फिरंव। ओ बखत तुंहर ये जलकुकड़ा समाज हर कहां चल देय रिहिस। कौन नई जानत ए के तें अऊ भइया घलोक मोर कोती नई नहारतेव त आज मेंहर चोर, डाकू अऊ नामी गु्डा बन गेय रहितेंव। तभो त समाज हर तुमन ला अंगरी देखातिस अऊ कहितिस अरे इही हर ये भलमानस के लोफ्फर भाई, जेर बेवांरस मन के संग मां गली-गली किंचरत रहिथे। भौजी तोला समाज ला देखना हे त मोला छोड़ दे।

भौजी हा दुलरवा ला छाती मां लगा लिस। दुलरवा मेंहर तोला अलग नई राखे चाहंव। तेंहर मोर बेटा अस अऊ मोरेच रहिबे। फेर तोला मोर किरिया हे तेंहर सोनकुंवर ला ले आन, मेंहर अतकेच चाहत हौं।

दुलरवा हा फैसला करिस के ओहर सोनकुंर ला आने बर जाही, अपन भौजी बर।

दुलरवा हा भौजी के केहे मुताबिक सोनकुंवर ला आने बर चलीस। गाड़ी के आवाज मां ओहा किव मन कस बिचार मां बूड़ गे। के भगवान। डउकी के मन मं जऊन मया के ढेरी भरे हे तऊन का मोर सोनकुंवर के मन मं नई ये। सोनकुंवर हा कतेक नासमझ हे, अरे काहीं त सोंचतिस... कहूं भौजी नई होतिस त मोर ये गोसइंया कहथय तऊन दुलरवा जऊन आज हावय तऊन नई रहितिस। अइसने बिचार मां फन्दे-फन्दे ओहा अपन ससुरार पहुंचिस। दुलरवा ला आय देख के घर के सब्बो झिन खुसी होगे। सोनकुंवर घलोक अड़बड़ खुस रिहिस फेर, तिरिया चरित्तर के मारे ओहा दुलरवा कोती लहुट के नई निहारिस। दुलरवा कोती धियाने नई दे रहिस।

रतिया होइस दुलरवा के सुते के बन्दोबस्त करे गईस। खा-पी के दुलरवा सोज अपन खोली मां गईस अऊ खटिया मां पर गे। खटिया मां परते ओला नींद आय लागिस। रद्दा के थकासी ह ओला सुताइच दिस। ओला सुतत देख के सोनकुंवर हा आके लहुट के चल दिस।

बिहिनिया दुलरवा 6 बजे उठ जाय फेर ससुरार के नींद आज ओहा 9 बजे उठिस, ता ओहा देखिस लकठा मं माढ़े कुसरी मां बइठे सोनकुंवर हा कांही पढ़त रिहिस हे। ओहा अपन रोज के आदत परे रिहिस तइसने कहिस – हे भगवान आज के दिन हा कइसे कटही। फेर सोनकुंवर घलोक ठगा जाय तइसना नई रिहिस। कहिस – हहो बने आय, ऊहां बिहिनिया ले अबन भौजी के दरसन करत रहे, इहां त मेंहर तो कालेच आंव।

दुलरवा किहिस – देख लेय न, बिहिनिया-बिहिनिया ले झगरा हे भगवान! ये देबी मन ले बचाबे, अऊ अपन रोज के बूता मां लग गे।

नहाई धोवई ले फुरसत होके दुलरवा हा अपन खोली मां ओन्हा बदलत रहिस के ओतका मां सोनकुंवर हा चहा नास्ता धर के आ पहुंचिस।

चाय के आनन्द लेत-लेत दुलरवा हा किहिस – मेंहर तोला लेय बर आय हौं। भौजी हर तोर अड़बड़ सुरता करथे। हमन ला आजेच जाय बर हे।

सोनकुंवर किहिस – हहो बने ये, थोक बहुत आपमन सुरता करथव, अऊ थोक बहुत तुम्हर भौजी हा। फेर मोला त ओ घर मां गोड़ नई दना ये अऊ कहूं जबरदस्ती करबे त मेंहा त नई फेर मोर मुदार् हा उहां जाही।

तभी त बड़, बड़े ज्ञानी, किव अऊ साहित्त के धुरंधर मन घलोक माई लोगन ला नई समझे सकिन। पेर ये दुलरवा हा त एक अनाड़ीच सरिख रहिस हे।

सोनकुंवर के एक गोठ मां दुलरवा हा चमके बरोबर होगे। ओखर दिमाक काम नई करिस। आखरी मां येहर मोरे गोसईनेच आय, मोला येलाअपन जिंदगानी मोरच संग बिताना हे। तभो ले अभी ओला काहीं नई कहनाच ला ठीक समझिस।

मंझनिया दुलरवा हा कोनो ला कांहीच बताय बिन टेसन चल दिस। जतका बेर ओहा घर ले बाहिर निकलत रिहिस त दुवारी मां ओखर सारी श्यामा हा पूछिस – भांटो अभी कहां जाथस ? दुलरवा ह कहिस – कहूं नई जांव, थोकन किंजर के आवत हौ।

टेसन पहुंच के दुलरवा ह अपन घर के टिकिस कटाइस अऊ गाड़ी मां चढ़गे। रेल मां भीड़ अड़बड़ रिहिस। जौन डब्बा में दुलरवा चढ़िस तउनों मां अड़बड़ गरदी रिहिस। फेर दुलरवा ला ठउनर िमल गे। दूसर टेशन मां दुलरवा ला अपन जघा ला छोड़ना परिस। काबर के ये टेसन के चढइया मन मां एक झन डोकरी रिहिस, जेकर देंहा हा कांपत रिहिस। दुलरवा हा ओला अपन ठौर मां बइठार दिस अऊ अपन हा डब्बा के दुवारी मां चढे उतरे के लोहा के डंडा ला धर के ठाड़ होगे।

दुलरवा ला चैन नई रिहिस। ओखर मन हा ओला भौजी अऊ सोनकुंवर के बिसे मां बिचारे बर पेलत रहिस हे। ओहा अपन मन मां ओ दूनों के बिसय मां बिचारत रहिस हे।

एक कोती सोकुंवर अऊ, दूसराकोती भौजी। सोनकुंवर हा अलगे रहे के फैसला कर डारे रिहिस अऊ भौजी जऊन हा सोनकुंवर के नई आय के मारे समाज के हिंता के सिकार होत रिहिस।

अइसने बिचारत-बिचारत दुलरवा के करेजा हा धड़के लागिस। अऊ वइसनेच गाड़ी हा पुलिया मं आइस ओखर धड़धड़ आवाज मां दुलरवा हा अपन मन ऊप्र कब्चा नई पाय सकिस। ओखर हांथ हा दरवाजा के डंडा मेंर ले सरक गे अऊ ओहा रेल ले गिर परिस।

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