Wednesday, May 2, 2007

अध्याय - पाँच

डेरहा हा हांत गोड़ धोके रंधनी घर मां जाके बइठ गे। भौजी हा खाय बर परोस दिस। डेरहा हा किहिस – आज तोर संग देवइया नई ये त का मेंहर तो संग दे दंव ? आना आज मैं अऊ तैं एके संग खावन। भौजी के चेहरा मां हांसी खेलगिस। अऊ कहिस – बुढ़वापना मां, का अइसना गोठ हा तोला बने लागथे। डेरहा हा किहिस - का आठे बछर मां मेंहर बुढ़वा होगेंव। तहूं ता का कइथस – कहूं सिरतोनेच बूढ़ापा आ जाही त फेर अइसना दिन देखे बर सपना हो जाही। अरे सुन त – आ ना, आज संगे मां खाबो। दूनों झिन मिल के खाइन पेर भौजी हा सबर दिनेंच दुलरवा संग खावय, तऊन पायेके आज ओला कइसे बेढंग के लागत रहिस हे।

दुलरवा अपन ससुरार पहुंच गे। ससुरार म ओखर बर पहिलीच ले अबड़ेच तइयारी कर डारे रिहिन। दुलरवा के समझ म नई आवत रिहिस के आखिर तार काबर करे गीस बिहाव होय के बाद ओहा पहलीच बेर ससुरार आय रिहिस, तउन पाय के ओला झझक लागय। झझक के मारे ओहा कखरो मेर पूछ बने नई समझत रिहिस अऊ रात कब होही कहिके रथिया के रद्दा देखत रिहिस।

आखिर मां अबड़ेच असकट मां दिन कटिस अऊ रात अइस। खवई पिअई होय के बाद दुलरवा ला एक ठन कुरिया मां अमरा दीन। उहां सोनकुंवर हा अपने देवता के पूजा करे बर पहलीच ले तइयार बइठे रहिस। दुलरवा हा दसना मां बइठतेच रिहिस के सोनकुंवर हा दऊड़ के ओखर गोड़ मां गिर परिस। दुलरवा हा सम्बलिस अऊ उठा के सोनकुवंर ला दसना मैं बैठार लिस। अरे सुनकुंवर तेंहर अइसना काय करत हस। का हो गे हे ? का मोर मोर ले कांहीी गलती होगे हे, का होगे हे बता ना। सोनकुंवर ला अपन ये लेड़गा घरवाला उप्पर रिस लागत रिहिस हे अऊ सोग घलोक। सोनकुंवर हा कहिस – तुमन मोर चिट्ठी के जवाब काबर नई देव। तोट चिट्ठी नई आये ले मेंहर कतेक तरसत रहेंव। मने मन रोवंव अऊ आंखी हा तोर निरमोही के वांव ले के आंसू बोहावत रिहिस। फेत तोला त कभूच मोर सरकता आवत रिहिस ? दुलरवा मन मा गोठिया डारिस – नई सोनकुंवर नई, मेंहर रोजेच तोर सुरता करंव फेर सुरता करे ले का होथे ? मन हा घेरी-बेरी बीते समे ल सुरता देवाय अऊ ओखर मारे मन में दुख के राज हो जावय। मनखे मन घलोक रोनहुत मुंह ला चिन्ह डारंय अऊ ओ मन ला केहे के ओढ़र मिल जाय के एहू का गोठ आय के बिहाव होत बेर नई लागीस अऊ इंखर जकहा पना आगे। इही पायके कांही नहीं कहे सकेंव! अऊ चिट्ठी के जवाब नई देय के गोठ कहेय तब मेंहर चिट्ठई ला कभूच-कभूच लिखथंव। ये तोला जानना चाहि। अच्छा अब रिस ला छोड़ ये त बता के तार काबर भेजे रेहेव। अतका कहतेच सोनकुंवर के मुंह हा हांसी ला नई लुकाय सकीच अऊ ओहा किहिस – सिरतोनेच देंहर निच्चट लेड़गा मुंहा हावस ओ तोला बलायेच बर भेजे रेहे अन। अतका ला सुतेज ओहर लजाय असन हो गे। पेर तभो ले ओहर हार के घलोक जीत गे हवंव समझत रिहिस।

थोकन बेरा ले एती ओती गोठ होत रिहिस। तहां ले नींद आय लागीस, तभो ले सोनकुंवर सुतिस नई, अऊ मुडसेरिया म बइठ के मुंड़ी मां अपन हाथ ला फिरोत रिहिस।

बिहिनिया होगे। सुरुज भगवान हा अपन बेरा मां उगे। दुलरवा हा रोज के काम ले फुरसद हो के बैठका खोली कोती गिस। सोनकुंवर नास्ता के जोख मढ़ावत रिहिस। ओह जाके एक ठिन खउसरी मां बइठ गिस। सोनकुंवर हा दुलरवा के आघू मां नास्ता के मलिया ला मढ़ा दिस अऊ उहू हा एक ठन मलिया ला लेके बइठ गे। दुलरवा ह किहिस – सोनकुंवर अकेल्ला खात-खात अड़बड़ दिग होगे आना आज संग संग खाबो। सोनकुंवर किहिस अऊ कोने आ जाहीं त का कइहीं अरे कोन आही ? अऊ आइच जाही त काय कइही। तेंहर मोर अस के आ जाही तेखर। सोनकुंवर ला हांसी लागिस। दुलरवा हा ओखर हंसई मं संग देय लगिस अऊ सोनकुंवर के फरा मुंह मा पेड़ा ला भर देइस अऊ ओहा दुलरवा के मुंह मा डारिस।

चार दिन ल दुलरवा हा काट डारिस। फेर अब इंहा बने नई लागिस। ओला भौजी के सुरता ह ताला बेली कर देवय। ओला भौजी मेर ले अलगे होय आज चार दिन हो गेय रिहिस। ओहर अपन सारी बिजय ला बला किहिस – कहूं बनय तो सोनकुंवर ला पठो दे अऊ अपन खोली कोती रेंग दिस।

अरे गा होगे, तुंहर मुंह काबर उतरे हे। का हमन ले कांही चूक होगे। दुलरवा हा किहिस – सोनकुंवर आज मोला भौजी के सुरता हा तरसावत हे। मोर आंखी हा ओखर दरसन करे बर तरसत हे। का तहूं हा चलबे। सोनकुंवर हा कुछु नई किहिस अऊ अंखी मं आंसू भरे के भरे बाहिर निकलगे।

माई लोगन मन के मन हा कतेक अपस्वार्थी होथे। ओहर अपन घर वाला ला कभू दूसर औरत के बड़ाई करत नई सुने सकय, ओहा दाई काबर ना होय।

सोनकुंवर उप्पर के पटाव म चढ़गे। ओखर मन मां दुलरवा अऊ भौजी के बिषे म नई बताय सकंव के का-का गोठ आइस। ओला लागिस के मोर दुनिया अब उजड़त हे।

आखरी मां सोनकुंवर हा जाय के फैसला कर लेइस। सोनकुंवर के दाई हा किहिस – बेटी, तेंहर अभी कइसे जाबे। अभी त तोर कुराससुर हा लेवाय के सोर घलोक नई पठोय हे। सोनकुंवर के छाती हा त भरम मां फाटे जात रिहिस। ओहा किहिस – मोला त इन्खर संग रहे बर हे। कुराससुर ले काय मतलब हे।

दुलरवा ला पठोय के सब्बो तैयारी कर देय गीस। रेल के बेरा हा लकठिया गे। रमई कका हा टांगा लान के ठाड़ करिस। दुलरवा हा आघू ले टांगा म चढ़ के बइठगे।
अरे, ये रोवई गवई तेंहर कोनों धुरिहा थोरे जाथस। फेर तभो ले रोवई हा कमती नई होइस। रमई कका हा आंखी के आंसू ला पोछत, सोनकुंवर ला टांगा मां लान के बइठार देइस। टांगा टेसन कोती चल दीस।

रेल एक घंटा पाछू रिहिस। रेल के अबेर होवई हा सोनकुंवर ला नई अखरिस, फेर दुलरवा ला अखरे लागिस। हे भगवान, तहूं मोला पदोवत हस – झट कन मोला मोर भउजी मेर अमरा दे। फेर कहां, दुलरवा घलोक गाड़ी के अगोरा मा एती ले ओती किंचरे लागिस। रमई कका हा सोनकुंवर के लकठा मां बइठ के कांही कुछु फुसुर-पुसुर गोठियावत रहिस।

कइसनों कर के एक घंटा बीत गे। रेल टेसन मां ठाड़ होगे। दुलरवा अपन समान ला एक ठिन डब्बा मां भरिस। गाड़ी मां अबड़ेच लट्ठा रिहिस। अतके के बेठई त कहूं जाय, सामान रखई घलोक मुस्कुल पर गेय रिहिस। रेल हा इहां तीन मिलिट रुकय तउने पाय के एती ओती के कांही सोचब बिचारब ला छोड़ के खिड़की कोती ले डब्बा म समान फेंकई सुरु कर दिच। ओतका बेर डब्बा मा गोहार असन पर गे। फेर दुलरवा के धियान त ओ कोती थोरकोच नई गीस।

हांथ कइसनों कर के समान ला त भीतर मां कर डाहिस। अब एक मुस्कुल त कट गेय रिहिस, दूसर के बेरा होइस। अब बइठे केती जाय। फेर दूसर मुस्कल ला सोनकुंवर हा बना डारिस। अइसे होइस के दुलरवा हर बिचारतेच रिहिस के एक झन भलमानुस हा सोनकुंवर ला किहिस – बेरा तो होगे, चढञ जावना। अऊ ओहा दुआरी मा ठाड़े मनखे मन ला अपन चंघा मां बइठे पर किहिस। दुआरी उघरिस अऊ ओमन खुसर गिन। सोनकुंवर ला त ठउर मिल गे। फेर दुलरवा ठाड़ेच रिहिस। दुलरवा के मने मन हिजगा होत रिहिस हे के जौकी मन मां का बात हे कि उखर सब्बो जघा काम बन जाथे अऊ हमन के नई बनय। कहूं महूं डौकी होतेवं।

दुलरवा अइसने बिचार मां भुलाय रिहिस के रेल हा छुट गे। अऊ तहां ले दुलरवा रेल के रंग ढंग मं भूला गिस।

दुलरवा के टेसन आगे। अऊ दुलरवा दुवारीच ले तुरते भुतिहार मन के मुंड़ मां समान ला मढ़ा दिस। अब ओमन ला उतरई घलोक हा मुस्कल होगे। काबर के बाहर वाला मन भीतरी खुसरे बर अऊ भीतरी वाला मन बाहिर निकले बर, लकपकाय रिहिन। आखरी मां ओमन धक्का खात खाले मां उतरिच गे।

येती भौजी हा दुलरवा के रद्दा देखत रहिस दुलरवा कब आही। आ जा ना रे दुलरवा, मोला तोह अबड़ेच सुरता आवत हे। आज त कौंवा हा छानी म चारा बांटत रिहिस हे। का तेंहर आजो नई आवस ?

भौजी हा दुलरवा के सुरता करतेच रिहिस के टांगा हा दुवारी मां ठाड़ होइस। टांगा के ठाड़ होयके आरो पातेच भौजी हा दुवारी मां पहुंचगे। देखिस के दुलरवा अऊ सोनकुंवर दूनों झन आए हैं। ओला अड़बड़ खुसी होइस। दुलरवा हा टांगावा वाला समान उतारे बर किहिस अऊ अपन हा भौजी के गोड़ा मां गिर गे। भौजी ला देखते ओखर आंखी मां आंसू भर गे। ओहा किहिस के मेंहर तोला देख बर कतका तरसत रहेंव जानत हस ? भौजी हा दुलरवा ला उठा लिस अऊ किहिस अरे, तुलरवा कइसे बैहा हो गेय हस। चल भीतर चल, मेंहर सोनकुंवर ला लेके आवत हंव। दुलरवा सोज अपखोली मां गईस अऊ खटिया मां सुतगे। भौजी हा हांक पारिस – अरे दुलरवा आना भइया रोट खा ले। दुलरवा हा कहिस – आवत हौं भौजी, तहुं अपन बर हेर ले। मेंहर आज रोटी तोरेच संग खाहूं। दुलरवा हा ओन्हा बदल के खाय बर आईस। देखिस के भौजी हा परोस के बइठे हे। बेरा होगे का भौजी। अइसे लागत हे तोला अबडड़ेच भूख सागत हे। भौजी हा किहिस – हहो मोला त भूख लागतेच हे, फेर का तोरपेट मां ससुरार के लपडुआ हा किंचरतेच हे। हहो रे भौजी तेंहा सच काहत हस, पेट ह अब ले फूले हे। आखिर ससुरार के माल ये ना। ले बने हे आ खा ले। पेर लप्हरसी मारबे। अभी सोनकुंवर ला घलोक खवाना हे। दुलरवा हा भौजी के कहे मान के रोटी खाय बर सुरु कर दिस।

जब सबो झिन रोटी खा डारिन तब दुलरवा हा किहिस – सोनकुंवर तंय चल मेंहर अभी भौजी मेर ले आवत हंव। अऊ पेर भइया मेंर घलोक जाय बर हे। सोनकुंवर अपन खोली कोती चल दिस अऊ दुलरवा हा भौजी के खोली कोती। दुलरवा हा अपन भइया डेरहा के पांव परिस अऊ अपन भौजी तीर भूंया मं आके बइठ गे। थोकन बेर ले तह डेरहा हा दुलरवा संग ओखर ससुरार के गोठ करत रिहिस। ओहा तार के बिसे मां पुछिस, तब दुलरवा हबा कांही जवाब नई देइस। लजा के भौजी कोती देखे लागीस। भौजी हा बिन हांसे नई रेहे सकिस कहीस कइसना भाई आव के सब्बो गोठ ल पूछथव, अरे का येहा जम्मो गोठ ला तुमन ला बता देही। डेरहा हा कहिस – ले भई नई पूछंव, मैं त सूतत हौं। हहो दुलरवा तेंहा बिहिनिया दूकान खोले बर चल देबे। मेंहर काली रतनपुर जाहूं।

दुलरवा अऊ भौजी रात के एक बजत ले कोठियावत रिहिन। येती सोनकुंवर ला रिस लागत रिहिस। कइसना नमनसे ये अब लेनई आइस। सोनकुंवर के मन मां पाप आगे। आखिर भौजी ले ओला अतेक मया काबर हे। कहूं कांही अऊ तो नोहय। हे भगवान, कहूं अइसना होईस त मेंहर अपन मइके चल देहूं। अऊ कहूं उंहो नई रेहे सकंव त कोनो सहर मां मास्टरी कर लेहूं। का मेंहर इन्खरे मन आसरा में हों। सोनकुपंवर के धुकधुकी हा बाढ़े लागिस। ओहा उठिस अऊ भौौजी के खोली कोती चलिच जइसने वोरहा दुवारी मं पहुंचिस अऊ उहां जौन देखीस ओहा ओखरमन के गोठ के भरम ला अऊ पक्का कर दिस। दुलरवा हा भौजी के कोरा मां मुड़ला राखे धीरे-धीरे कोठियावत रिहिस।

ठउका रे भगवान तेंहर डउकी मन ला काबर अतेक भरमहीन बना देय। हमन रद जात मन हा अतेक भरमाहा नई होवन। अऊ डउकी मन ला भरम होतीस कोनों अऊ जघा, फेर जऊन दुलरवा हा भौजी ला महतारी ले जादा मया करय तेखर बर, सोनकुंवर के मन मां काबर ठौर देय। का ओहा नई जानय। नई जानय के किवमन के कइस लिख दिन – ‘आंचल में है दूध और आँखों मं पानी’ मेंहर त कहिहौं ‘अंचरा म है भरम, अऊ आंखी मं ओढ़हर।’ अइसना बिचार करइया डउकी मन ये नई समझय के का कभू अइसना होय सकही। महतारी बेटा माँ, भाई बहिनी मं परदा। कमती समझइया आंय ना तऊने पाय के त ओमन ला जिंदगानी बने ढेग के चलाय बर एक सहारा के जरूरत बने रहिथे।

एक बज गे। भौजी हा कहिस – दुलरवा जा सुत एक बजगे। दुलरवा उठिस अऊ अपन खोली कोती चल दिस। अरे ये काये, सोनकुंवर का हो गेहे ? अरे गोठिया न। फेर सोनकुंवर के ससवाई हर बाढ़ते जाय। ओहर कहिस मेंहर अब एक छिन इहौं रहना नई चाहंव। तेंहर अलगे रहिबे त मेंहर रहिहौं, नई त मोला मइके पठोदे। दुलरवा ह ये हाना ला नई समझे सकिस। दुलरवा हा कहिस – आखिर तोला का हो गेहे सोनकुंवर ? सोनकुंवर हा कहिस – कांही त नई होय ये, फेर तोर भौजी संग अतेक मया हा मोला नई सुहावय।

दुलरवा के मुंड़ हा किंजरे लागिस। ओहा लकठा मा माढ़े अराम खुसरी मां बइठ गे अऊ किहिस – सोनकुंवर ये मेर तेंहा भूलावत हस। तोर मन मा जौन बिचार उठे हे ओखर से तोला तोकन बेर बर अराम मिल जाही। फेर जन भर रोय बर परही। फेर तोला मोर बारे मां ठऊका-ठऊका पता नइये। मोर भौजी...। मंझोतेच म सोनकुंवर हा किहिस – मैं सब जानत हौं। तेंहर मोला ठग के गोठ झन कर। दुलरवा ला ये सब सुनई हर अनसहयुक होत रहिस। हे भगवान, कहूं मोर हाथ ये करमछाड़ही ऊपर छूट झन जाय। ओहर उठिस अऊ खोली के बाहिर जाय लागिस। सोनकुंवर हा दुलरवा के हाथ ल धर लीस अऊ गरिस – बने हे तेंह जल दे। पेर अतका सुरता कर ले भैया अऊ भौजी के जायदाद मं मोर जरूर हक हे फेर वोला बांटा करे के नइये।

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