Wednesday, May 2, 2007

अध्याय – दो


बबा के आंखी डबडबा गेय रिहिस। ओहर खखार के टोंटा ला सफा करिस। में हर त सन्ना गेय रहेंव। मोला दुलरवा के जिंदगानी के एक-एक ठिन गोठ हर आंखी के आघू म दिखे लागीस। बबा हर फेर केहे बर सुरू करिस।

महूं हर पहिली काहंव के दुलरवा हरनई सुधरय। पेर मेंहर बिचारंव तब मोर मन हर इही फैसला मा पहुंचिस के आखिर दुलरवा हर बिगड़िस काबर ? पियार के कमी मां। दुलरवा ला पियार मां नई भलूक मार-मार के सुधारे के कोसीस करे रिहिन हावंय अऊ ओखरे मारे ओहर आजाद होगे रिहिस। कहुं दुलरवा के घर के मन दुलरवा ल मारे के बलदा मा मया करे रहितिन तब दुलरवा नई बिगड़तीस। मोर खियाल मा त दुलरवा के करम मा इही सबो हर बदे रिहिस हगे, नई त छोटे होय ले सब्बो के मया पाय के हक ओला भगवान देय रिहिस हे। फेर ओला सबो नई मिलिस। ओहर इही मया ला पाय बर तरसय। फेर कखरो रोके ले समे के चक्कर ह तो नई रुकय।

थोकन दिन के गय ले दुलरवा के भइया डेरहा के बिहाव होगे। ओखह बिहाव गांव म होईस। दुलरवा हर अपन गवंहीन भौजी ला पहिली देखिस। फेर एक दिन भौजी हा ओला देत मूंड़ ढांक लिस तब दुलरवा के दिदी कमल हर किहिस – दीदी अरे ये हर त तोर देवर आय। तब भौजी हर किहिस – हहो देवर आय, फेर बड़े। इही गोठ ला सुनके दुलरवा ह मोहागे। काबर के ओला कभ्भू कोनों बड़े नई केहे रिहिन। दुलरवा के मन मा मबिली घांव के देखई मा भौजी के ऊपर अबड़ेच मया समागे। भौजी के आए ले दुलरवा के जिंदगानी म एक घांव फेर कातिक आगे। ओला भौजी ला कुड़कावब म अड़बड़ मजा आवय। ओहर उपदरवी रिहिस ना। ओहर जब नहीं तब अपन भौजी ला ‘गवंहीन भौजी’ काहय। ये हर त दुलरवा के बेअकल होय के साखी आय। फेर भौजी ला दुलरवा के इही गोठ ऊपर अबड़ेच रिस लागय। वो हर काहय – मेंहर कवंइहीन नों हंव। कहूं तुंहर हिसाब मा गंवई मं रहेच ले कोनों गवंइहीन हो जाथे त तेंहर बने कहथ हस। फेर मोर हिसाब मा दुम्हर ये सहरइया जिंदगानी ले कतको बने गवंइहा जिंदगानी हर आय। दुलरवा अऊ भोजी म इही गोठ ला लेके गोठ बात हो ाजय। ओ मन एक दूसर ऊपर रिस हो जांय पेर थोरकेच बेरा म एक बने बर लहुर तुहर करे लागय।

भौजी ला आय पंतरा दिन होय रिहिस। ओला लेगे बर ओखर भाई हर आगे। दुलरवा के मन नानुक होगे। ओला पीरा होय लागीस के भौजी हर चल दीही त ओखर हांसी खुसी चल दीही। अब काय करंव ? का कुछु उपाय नई ये अभी भौजी हा अऊ थोक बहुत दिन रुके रतिस। फेर दुलरवा के हुंसियारी हर एक दिन चलिस। काबर के ओहर केहे रिहिस हे के रेल हर एक घंटा लेट हावय, सिरतोन मां गाड़ी हर पन्दरा मिलिट लेट रिहिस। तौन पायके ओ दिन ओ मनला रुके बर परगे। आज सबो झिन हुसियार रिहिन हावंय। दुलरवा हर भजी मेर पहुंचगे फेर उहां भैया रिहिस हावय लहुट आइस। ओखर मन हा त रोतेच रिहिस फेर आंखी घलोक हर ओखर संग देत रिहिस। ओहर सुसकत रिहिस। भौजी हा जाय बर तियार होते रिहिस। भौजी हर टांगा मा गोड़ मढ़ाइस। दुलरवा हर चिचिया जारिस भौजी छूटे के बिचार मा अऊ रोत-रोत ओहर गोड़ मा चटक गे। भौजी हा ओला उठाइस फेर झझक के मारे कांही नई केहे सकीस दुलरवा ला, अऊ दुलरवा घलोक। भौजी चल दिस। दुलरवा के मन मां इही पन्दरा दिन मां अपन भौजी बर एक ठन सुंदर अकले ठौर बन गेय रिहिस।

दुलरवा हर थोक दिन ले अपन मन ला भुलवारत रिहिस। फेर ओखर जीव हा भौजी ला देखे बर उबुक-चुबुक होत रिहिस हावय अऊ तब ओहर बिन बताय भौजी के ममइके धमक दीस। ऊहागं ओहर भौजी के दरसन करिस। छाती जुड़ागे। ऊहां ओला आरो मिलिस के भौजी हर रईपुर जवइया हावय। ओला अड़बड़ पिराइस। ओहर भौजी झन जातिस कहिके भगवान के धियान करेय, फेर भौजी हा चलीच दीस। ओहर हार खाके लहुट आइस। ओला अपन जिंदगानी गरु लागे लागिस। ओहर कुछु करे नई सकय, अऊ ना कांही गुने सकय। सुन्न होके एती ले ओती भटके लागिस दुलरवा। फेर बिहिनिया करे रफे फूटीस ओखर मन मां अऊ ओला रद्दा दीखिस। ओहर अपन भौजी ला चिट्ठी लिखे के बिचारिस। ओहर चिट्ठी भेजीस। फेर जवाब नई आइस। ओहर मने मन मा बिचारय के भौजी अऊ मोर का नता हे ? अऊ हावय तौनो हर दिल के नोहे। ओहर त समाज के बनाय नेम आय तौने पाय के देखावा बने हावय। मोला दगा होय हे। ऐसने दुलरवा के मन मां रंग-रंग के गोठ आवय। का इहू भौजी हर अऊ दूसर भौजी मन असन आय य़ का मेंहर ओखर मन मां ठौर नई बनाय सकंव ? दुलरवा हर ऐखर पीछू घलोक अऊ चिट्ठी लिखीस। फेर जवाब नई पाए सकिस। दुलरवा के मन टूट गे रिहिस। ओला सबो हर देखाय के अऊ चोचला आय तैसे लागय। ओहर भौजी के बेवहार ल नई जाने रिहिस के भोजी हा ओला देवर आय कहिके अऊ नई तो कोनो कांही काहय झन कहिके मया करके गोठियाथे। धोखा गोहे हे मोला, हहो मोला धोखा देय हावय। काबर अइसना करीन ? मेंहर त वैसना मया ला आज ले नइच पाय रेहेंव अऊ मोर चाल पर गेय रिहिस फेर काबर मया ला बढ़ाइन। भौजी हर काबर मोला मया के समुन्दर मा बोरिस अऊ निकाल के फेंक दिस।

आठ महिना के बीते ले भौजी के पठौनी आनीन। भौजी फेर आगे। फेर दुलरवा अब मनटूटहा असन राहय। ओला मया नई करंय अइसना फेर लागे लागिस अऊ फेर अपन उही जुन्ना चाल कोती फिरे लागीस। ओहू हर थोक दिन बर काबर के दुलरवा के ये गुनई हर अर्रा निकलिस के ओला अपन कहवइया कोनों नइये। दुलरवा के मनहा जानय के ओहर अपन भौजी मेर ले मया पाय सकही। ओहर भौजीच ला अपन समझय अऊ ओला ओखर मन मां ठौर बनाना जरूरी हे। दुलरवा हा भौजी के मया ला सबो दिन बर पाय चाहत रिहिस।

दुलरवा अऊ भौजी जंवरिहा रिहिन। फेर माइ लोगन होयके मारे भौजी मा सियानी पना जादा रिहिस अऊ दुलरवा मां छोकरा आदत अब ले बांचे रिहिस। ओहर अभी चौदच बछर के रिहिस फेर ओमा उपदरव करे के आदत अबड़ेच भरे रिहिस। दुलरवा के इही उपदरव चाल के मारे भौजी के मन मां थोरको ठौर नइ रिहिस। काबर के भौजी हा पहिली पंदरा दिन रहि के चल देय रिहिस। फेर अब ओला दुलरवा के सबो चाल के बिसे म पता चलिस। ओहर संझा बिहिनिया दुलरवा के भइया मेंर काहय के मेंहर नई जाने सकत हौं के काबर तमन ये चोर, बदमास ला अपन संग मां राखे हावव। ये दुलरवा हा एको दिन तुमन ला जरूर धोखा दिही। डेरहा ला दुःख लागय। का करही दुलरवा हा ओखर मारे मोला का-का सुनेबर परही। फेर ओहा चुपे रहि जाय। ओला घड़ी-घड़ी हा खटकय के दुलरवा हा त ददा के मया बर सबो दिन लुलुवाइस फेर अब मोर छोड़ आसरा देवइया कोनोच नइये। बने होय के खराब होय अब त चलायच बर परही। भौजी हा दुलरवा ला घिनघिन त समझय फेर ये नई जानय के उही दुलरवा हा ओला कतक उंचहा मया करथे अऊ अपन मन मा बइठार लेय हावय।

दुलरवा के भौजी संग जम्भो मनटुटा होवय तब भौजी हर कहय, के हमरे मारे तैंहर लठिंगरा बने किंजरत हस अऊ हमरे संग लड़थौ। दुलरवा घलोक अपन रिस ला नई थामे सकय अऊ कही डारय – काहय हौ भौजी तुमन त चाहत हो के तुम्हर ऊपर ये बोझ हर परे हावय तेहर तुम्हर ओखी ले दुरिहा जावय। अतका दुलरवा कहि त दय। फेर ओला दुःख होवय के मेंहर काबर भौजी ला अइसना केहेंव। ओहा खुदे बेरा मां भोजी मेर पांव पलौटी करे बर पहुंच जाय। अऊ ओहा मान घलोक जाय।

दुलरवा बर भौजी के सुभाव ला समझना कठिन काम रिहिस। का जानी काबर ओहा दुलरवा ला पर समझय, नान-नान गोठ मा ओहा दुलरवा संग लड़ डारय। कहूं दुलरवा हा बात ऊपर बात कहय तभो भौजी के आंखी के आंसू के मोती असन चमकत बूंद-बूंद गिरे लागय अऊ दुलरवा हा ओला सूजी सूतरी मां गूंथे के कोसीस करय(भौजी ल मनाय बर धरय)। भौजी हा जर भूंजा जाय रिस मां। जब संझा इसकूल ले डेरहा हा आवय तब भौजी हा ओखर मेर दुलरवा के हिंता करय। पेर डेरहा के कान मां जूं हा नई रेंगय। डेरहा के अइसना बेवहार ला देख के भौजी हा उपास करेके परतिग्या करय। “माई लोगन के उपास हा घलोक अतेक ताकत वाला हे के बड़े-ब़े मनखे ओखर मारे पानी मांग डारथें।” तभी ले भौजी के मन हा जूड़ कैसे होवय, तब दुलरवा ला बलावय अऊ काहय – काय कहे रकहे रे ? तोला मोर नई त ओखर खियालात रखनाच चाहि। दुलरवा येहर तोर बर महतारी असन हावय तभो ले नई जानमव तेंहर काबर ओखर संग पड़थस। मोला तोर उप्पर भरोसा हे दुलरवा। अब तेंहर ओला हिंता करे के ओड़हर झन आन देबे। डेरहा के ये मया मार हा ओखर मन मां अपन जनम-जनम न मिटइया छापा बन गेइस। ओहा मन मां परतिग्या करिस के अब भजी ला हिंता करे के ओड़हर नई आवन देय।

धीरे-धीरे मां मया ला मया मिलिस। दुलरवा हा भौजी के मन मां ठौर बनाय बर कोसीस करतेच रिहिस, अऊ ओहर जइसनेच बिचारे रिहिस, तइसनेच होइस अऊ भौजी हा ओखरो ले जादा माने जतका मया बेटा हा महतारी मेर ले नई पाय सकय।

बबा हा किहिस – बाबू, दुलरवा हा मोर मेर काहय। कका मोला अतेक खुसा हावय के मेंहर तोला का बतावंव। आखिर मा भगवान हा मोर सुनिस त, फेर कका अइसे त नइ हो जाहि के मेंहर जतका खुस हावंव ओखर ले बड़का कहूं दुख पा जांव। कहूं भौजी हा मोला उही नरक मां त नइ ढकेल दीहि। जेमा मेंहर अपन जिंदगानी ला फोकट समझत रेहेंव। दुलरवा के ये गोठ मा मेंहर ओला धीरज बंधाय रेहेंव के दुलरवा एक त मया सबो ला मिलय नहीं अऊ मिल जाथे त सिरावय नइ। येह त भगवान के देनगी आय। दुलरवा हा भौजी के मया मां मुंड़ गोड़ ले अतक बुड़ गेय रिहिस के अब ओहा ओहर ओखर बिन नई रेहे सकतिस। अइसने समें मां भौजी के मइके ले जनेऊ के नेवता आइस अऊ भौजी ला नेवता मां जाना जरूरी रिहिस। ओहा गइस त दुलरवा के उछाह हर फेर खऊला गे। ओ हा मुंह ल ओथराय असन राहय। काबर के दुलरवा हा जब ले भौजी के मन मां बेटा कस मया के अंजोर ला देख डारे रिहिस, तभे ले ओखर सब्बो काम मा भौजी हा मदत देबेच करय। ओहा खावय नहीं जब ले भौजी हा नई परसे। फेर भौजी के जाय ले ओला सबो बखत भौजी के नई रहई खटकत राहय। ओहा रो डारय। भौजी तेंहर मोला छोड़के काबर गेय। का तेंहर नई जानत अस के तोर बिन दुलरवा हा खाय नई सकय।

बाबू मेंहर पहिलीच गोठिया डारे हावंव के दुलरवा के पिछु के जिंदगानी हा अबड़ेच सोगऊल रहिस हे ओखर बिसे में बताना कठिन हावय। दुलरवा के मन हा भौजीच ला बलावय। भौजी हा त अपन मइके मां मंजा से दिन ब्ताय बर गेय रिहिस हावय। ओहा का जानय के ओखर नानुक देवर हा जौन सब्बो समें अपने भौजीच मेंर रहना चाहथे, ओखर का होही, कइसे रहत होही। दुलरवा के हालत बड़ा सोगऊल रिहिस हे। वोहा रोगा के रोज सुखावन लागिस। ओहू हा का करय, लइका हा महतारी मेंर ले अलगे रहिके सुखाही नइ त का हरियाही। दुलरवा काहय हे परमेसर भौजी हा मोला छोड़ के चल दीस। कहूं मेंहर ओखरे बेटा होतेंव त का ओहर मोला अइसने छोड़ के जाय सकतीस ? नई ओहा कभू अइसना नई करे सकतीस, भगवान मेंहर मया मा अइसन अलगे रहवई ला नई चाहंव। मोला मया चाही। मोला बला ले भगवान तेमा मेंहर फेर जनम लेके भौजी मेर महतारी के मया ला पाय सकंव।

बाबू - दुलरवा के भौजी हा माई लोगन के गढ़न मां देवी रिहिस। ओहा दुलरवा ला घिनघिना के बदला मा मया करिस, अऊ दुलरवा हा उही मया के गोदी मा चिटिक सम्बलिस। तभो ले दुलरवा के मन मां आवय, भौजी के मइके जाय उप्पर ले गुनै दूसर भौजी मन कस मोरो भौजी तो नो हे। ओहा अपन अऊ भौजी के मया ला तौले। का मेंहर उच्चहा मया के हकदार हंव ? त ओला लागय के मोर असन ठलहा बर भौजी के मन मां ठौर होयच नई सकय। अइसना बिचार के आतेच वोहा रो डारय, अपन करनी ला बिचार के। हे भगवान महूं पढ़े लिखे होतेंव। बचपना मा बने ढंग लगा के पढ़तेंव त आज मेंहर अपना माय के पियास ला बुधाय बर आज अइसना नई तरसतेंव। सब्बो के मया हा आज मोला मिलतिस।

दुलरवा के भौजी हा ओला जिन्हय। वो हा बिचार करय के यहू घछला हा अपन गोड़ मा ठाड़ होय सकतिस। ओहू ला कखरो मदत के जरूरत नई परतिस। फेर अइसना गोठ मा त दुलरवा हा अपन भौजी संग पड़ डारय अऊ काहय के तें हर चहिथहस के येहू हा कमावय तेमा एला सोज रंग मा अलगे करत बन जाय, फेर मेंहर अलगे होवइया नोहंव। अइसना गोठ के बाद दुलरवा हो रोनहुत हो जाय। भौजी हा ओला समझावय फेर मनइया ये तेमा मानतिस। ओहा त खाय पिये बर छोड़ दय। अइसना मां भौजी घलोक रिसा जाय।

दुलरकवा हा एक दू दिन घर मां नई खावय अऊ भोजी मेर बोलय घलोक नहीं। डेरहा जब जानय त ऊहू ला अबड़च दुख होवय। ओहा आज ले तुलरवा ला कइसने कमती होयके बात नई होन देय रिहिस। ओमन ओला भूख मा नई राहन दंय। जइसना एक जिन नान्हें लइका के हुड़ई मा ओला समझाथें वइसने डेरहा हा दुलरवा ला समझावय। दुलरवा के हुड़ई हा ओखर मेर न नई चलय। ओला खायेच बर परय। अइसने मां भौजी के रिस हा तरपौंरी ले मुंड़ मां चढ़ जाय। वो हा डेरहा ऊपर घुसियाय। काबर तुमन ओला मनाथव “जतका बेर पेट मा मुसुवा कुदही” त खुदे खाही। डेरहा हा भौजी ला समझावय आघिर मा भौजी ला चुपे रेहे बर परय।

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