Wednesday, May 2, 2007

अध्याय - तीन


अब भौजी हा घलोक जान डारिस के दुलरवा के संग डेरहा के मारे ओहू ला मया देय बर परही। ओला अब मेंहर महतारी के मया ले अलगे नई राहन दंव। भोजी हा अब दुलरवा ला मन ले मया करे लागिस। भौजी अऊ दुलरवा के आपसी के ये मया हा अरोसी-परोसी के कलंक लगाय बर भरमहा मन के गोठ बनगे। ओमा दुलरवा के गलती हर रिहिस फेर ओहर कोनो बड़ारी बरम्हा त नो हे। ओहा का जानय के नानकुन गोंठ ला मइनसे मन अइसना बढ़ो-चढ़ो के हांसी के रद्दा निकाल लिहीं। ये बात के असली गोंठ ये रिहिस के अब दुलरवा हा अबन भौजी ला एक झिन बर नई छोड़ना चाहय। इही पाय के लोग मन ओमा खोट होही कहिके समझे लागिन। सब्बो गांव भर गोठहा पवन गढ़न बगर गे के हो न होय दुलरवा के ओखर भौजी संग गड़बडज़-सड़बड़ हे।

वाह रे समाज ते हा घलोक कतेक गिर गेय हावस। जऊन दुलरवा हा काली समाज बर कलंक रिहिस उही हा कहुं अब मया के ओघा मा अपन ला सम्हालत हे, तभो तुमन ला ओमा खोट दिखथे। फेर दुलरवा हा भौजी ला दाई कहिथे। का तुंहरमा अतको समझ नई ये।

ये गोठ हा डेरहा तीर पहुंचीस। पेर होहा दुलरवा अऊ ओखर भौजी दूनो ला बने ढंग से जिन्हय अऊ समझय। तऊने पाय अइसना गोंठ म धियान नई दीस। फेर जब भौजी आइस त गांव के माई लोगन मन के बताय ले उहू ला ये गोठ के पता चलिस। उहू ला अड़बड़ दुख होइस।

भौजी हा ये गोंठ होय के बाद दुलरवा संग थोकन झिझके असन बोलय। नई मालूम ओहा अपन न मां कोन आंधी लालुकाय बइठे रिहिस। ओहा दुलरवा ला सखोवय, दुलरवा तोर ये चाल मन बने नोहय, मोला त भऊख नइये त मोला खाय बर काबर बिटोथस, मेंहा नई चाहंव के तेंह मोला मनावस। दुलरवा तेंहा मोला कहूं के नई राहन दस। बस्ती के सब माई लोगन मन बर येहा बने बढ़िया असन गम्मत बन गेहे।

दुलरवा हा थोथना ला उतार दय। का भौजी ह मोर ऊपर काही किसिम के भरम करथे ? के ओहर ये समाज के बांधे के बेड़ी मां कसा जाय के कारन ले नई केरे सगय, के दुलरवा हा मोर बेटा आ। दुलरवा ला पियार अऊ मया के जरूरत हे अऊ ऐखर नई पाय पाय ले कहूं ओखर मन टूट जाही त दुलरवा हा जीयत नई रेहे सकय। दुलरवा ला सोज रद्दा मा लाने बर हे त ये समाज के कीरा मन कोती हमन ला देखना नई चाही।

भौजी हा दुलरवा ला समझावय, फेर दुलरवा ह मनइया नोहे! ओहर काहय भौजी, थोक बहुत दिन के मोर जिंदगानी बांचे हावय मोला अइसने तुमन के सेवा करन दव। कहूं तेंह मोला ये काम ले अलग करेके बिचार डारे हवव त ठुका बता मेंहर तोर आंखी ले जनम दिन बर दुरिहा हो जाहूं। दुलरवा के अइसना गोंठ ला सुन के भौजी हा कुछुक नई केरे सकय अऊ न दुलरवा च हा काहीं समझे सकय।

दुलरवा के भइया डेरहा हा बड़ सिधवा मनखे आय। ओकर चतका सादापन अऊ सियानी ऊपर ले देखे बर मिलय ओतकेच ओखर मन के भीतर घलोक रहिस। दुलरवा ला डेरहा हा बेटा असन मया देइस, इही मया म पले दुलरवा हा ओखरो नई सुनय। कहूं जेरहा हा थोरको रिस देखावय तो दुलरवा के लांघन सुरु हो जाय। ओला लाग के कहूं भइया घलोक त ओला अलगे नई कर देही। दुलरवा ल डर त लागय फेर ऊपर ले वहू हा नई गोठियावय। डेरहा दुलरवा ला नानापन ले जानत रिहिस हे। फेर दुलरवा हा छोटे भाई आय न तऊने पाय के खुदेच संग गोठियावय, दुलरवा हा भइया अऊ भौजी दुनो के मयारूक हो गे रिहिस।

धीरे-धीरे दिन रथिया, बीतिस अऊ कतको महिना बीत गे। डेरहा ला पेंशन मिले लागिस। डेरहा हा उही गांव मा एक ठन दूकान लगा लीस। दुलरवा अऊ डेरहा दोनों एके संग उहें कमाय लागिन। कभू दुलरवा अऊ डेरहा मा दूकान के नांब लेके बाताचीता हो जाय। दुलरवा हा छोकरपना के मारे भइया ला कुछु कांही कही डारय। फेर डेरहा घलोक हा मनखे के मुहरन मां देवता आय। वे हा बड़ धीर, अऊ समझदारी ले काम लेके दुलरवा ला सोजरद्दा में ले आवय।

दुलरवा ला मया मिलिस। जऊन दुलरवा एक ठन खुंदाय फूल रिहिस, अऊ जउन ला खूंदब मां सबोल मंजा आवय। फेर ओ होना घलोक त सच आयं के “कभू धूरा के घलोक दिन फरथे।”

दुलरवा हा अब अपन भइया संग कारोबार मां संग देय लागिस। अबत ओहा अड़बड़ खुस रहय। दुलरवा के सब्बो त बदलिस फेर ओहा अपन एकठन चाल ला नई सुधारे सकीस। ओहर आय भौजी संग रोजेच लड़ाई। ये लइका मन कस रोजेच के लड़ाई घलोक दुलरवा के दिन भर के बुता मां सामिल रिहिस। दुलरवा अऊ भौजी मा जभो बाताचीता होवय त सुनइया मन ला अइसे लागय केजइसना दू कोती लड़इया मन के जंग मा लड़ाई होते। फेर इही झगरा हा ओमन ला एक दूसर ला मया के डोरी कस के बांधय अऊ समझे के मौका देवय।

दुलरवा हा कभू अपन भौजी ला काहय के भौजी मेंहर जौन हावंव ते सबो हा तो आसिरबाद पाके ब ने हंव। देखत हस सब झिन मोला कतेक हलका समझंय। दुलरवा ला अपने मुंह म अपने बड़ई गोठियावत देखत भोजी हा काहय – कुकुर सहराय अपन पूंछी। अऊ उही उप्पर दुलरवा आऊ भोजी दूनो कठल-कठल के हांसय।

दुलरवा हा बीस बछर के हो गे रिहिस फेर ओखर त भइया अऊ भौजी ल छोड़ के कखरो धियानेच नई आवय। ओहा इदी दूनों झिन के भरोसा मां अपना बारह बछर ला बिता डारे रिहिस।

एक दिन दुलरवा हा अपन दूकाने म बइठे रिहिस। ठउका ओतकेच बेरा दूकान म एक झिन बुढ़वा मनखे आइस। ओहा आत साथ दुलरवा ल किहिस, बेटा डेरहा के इही दुकान हा आय। दुलरवा हा किहिस – हहो। ओहा उही मेर के खुसरी म बइंठिस, डेरहा के रद्दा देखत। डेरहा भइया आइस। ओहा दुरिहाच ले किहिस – रमई कका! कसगा कइसे आय हस ? अतका मा रमई कका हर किहिस – का बतावंव बेटा, मेंहर सोनकुंवर के बिहाव बर लइका खोजत-खोजत थकगेंव। फेर अभूले कोनों लइका मोर जनइक नई आइस। मेंहर गुनेंव के चलंव जेरहा मेर जावंव त ओकर ले कोनों ना कोनों लइका के पता चलिच जाही, इही पाय के मेंहर तोर मेर आय हवांव। अइसना गोठ ला सुन के डेरहा हर गांव के लकठा के एक दू झिन छोकरा मन के नांव ल बताइस, फेर रमई कका घलोक हा त नम्बरी घाघ आय। आखरी मा रमई कका हा दुलरवा के बिसे म डेरहा मेर गोठ चलीस। डेरहा हा कहीस – भई ओखर ऊपर मोर नहीं, भलूक ओखर भौजी के हक हावय। तऊन पायके एखर बारे में मेंहर तुमन ला काली बताहंव। रमई कका हा काली आहूं कहिके चल देइस।

संझा कन डेरहा ह दुलरवा के भौजी ला हांक पारिस – अरे सुनत हस, आज अनुपपुर के रमई कका आय रिहिस हे। भौजी किहिस – कोन रमई कका ? हां उही जौन हा हमन ला गया जी जात रेहेन तो रेलगाड़ी मा मिले रिहिन। डेरहा हा किहिस – हहो उही। ओखर चउदा बछर के छोकरी हावय। जेखर नांव हावय सोनकुंवर। भौजी हा संझोतेच मा कहि डारिस – अरे होलिया काबर बताथस, सोझ-सोझ कहना। हहो हहो सोज-सोज कारद हौं। वोहा तोर दुलरवा संग ओखर बिहाव करे चहथे, तोर का कहिना हे ? भौजी हा किहिस – भई दुलरवा हा त खुदे समझे के लाइक हावय। ओला छोकरी देखाय बर परही। त डेरहा हा किहिस – का दुलरवा हा छोकरी देखही। हहो काबर नई। डेरहा हा भौजी के केहे मुताबिक रमई कका ला किहिस। ओमन छोकरी देखाय बर मानगे।

बिहान दिन खाय के बेर भौजी हर दुलरवा ला किहिस – दुलरवा तोर बिहाव के गोठ बात करे बर रमई कका आय रिहिस हे। दुलरवा हा किहिस – त मेंहा काय करंव, आइस होही। भौजी हा किहिस – के तेंहर समझस कताबर नई दुलरवा। मेंहर त हहो कहि देंव। दुलरवा के मुंहर उतरगे। भौजी तेंहर मोला जियत नई राहन देस। का तोला मोह ऊपर थोरकोच सोग नई लागय। भौजी का मेंहर बिहाव नई करहूं त नई बनही अऊ दुलरवा हा भौजी के गोड़ मां मुंड़ ला दे देइस।

भौजी हरा समझावय के दुलरवा आखिर तोला बिहाव के नाव मां अतेक चिढ़ काबर हे ? फेर महूंत चाहत हौं के मोरो संग देवइया कोनो राहय। तहीं बता के महीं हर तोर कतेक चाकरी करत रहिहौं। का तेंहर मोला सुख नई देबे रे। भौजी के इही मया भरे गोठ मन दुलरवा ला बिहाव करे बर राजी कर देइन।

दुलरवा के मन हा बिहाव करेके बिचार ले अबड़ेच दुरिहा रिहिस। ओहा बिचारय के कहूं ओखर डउकी हा, असाध, लेदरी, मुँहफट, रिसहीन अऊ खरचीहीन होइस त जेखर भरोसा म ओहर जीये के आसरा पागेय उही हर मरे बर कर दीही। हे भगवान का बिहाव नई करे ले घलोक पाप होथे। का बिहाव हो जाय के बाद घलोक मेंहर अपन भइया भौजी के मया ल पाय सकहूं। नई, काबर के मेंहर देखे हावंव के बिहाव हो जाय ले मइनखे मन बदल जाथें। मेंहर देखे हावंव। ओमन अपन महतारी, बाप, भाई-बहिनी सबो ला भूला जाथें। इही पाय के दुलरवा हा बिहाव के नाव ले भागय।

अऊ दुलरवा हा इही फैसला उप्पर काहय अपन भौजी मेर, के भौजी मोला तोर पांव तरी जिंदगानी ला बितावतन दे। मेंहर एखरले अलग नई रहि सकंव। भौजी ह कहय, दुलरवा तेंहर कांही समझस काबर नई रे। मोला भरोसा हे को तोर घर वाली के आय ले मोर निभाव हो जाही। तेंहर अइसन काबर गुनखल रे बिहाव होयले तोला अलगे रहे बर परही। कहूं अइसना होय सकही। मेंहर तोर चाकरी करत हौं त का ओखर बलदा नई लेहंव, तोर ओखर मेर। कहूं तें खुदे अलगे रहे के गोठ करबे तभो मेंहर अइसना नई होवन दंव।

दुलरवा हा ये बिहाव के बिसे म अड़बड़ बिचार करिस। आखरी म इही बिचार करिस के भौजी के मन रखे बर ओला बिहाव करेच पर परही। चाहे ओला अब कतको मुस्कल काबर नइ आ परय।

दुलरवा हा भौजी के मन राखे बर अपन मन के गोठ ला टार दिस। छोकरी देखे बर दुलरवा अऊ भौजी दूनों गईन। जहाँ ले येमन पहुंचिन, रमई कका हा इंखर आवभगत सुरु करिस, अऊ उनला ओखर फल घलोक मिलिस। ओमन ला मन्झनियां खाय बर बलवाइन। दुलरवा अऊ भौजी एके संग खाय बर बैठिन। परोसे के बुता ला सोनकुंवर ऊपर छोड़े गिस। भौजी हा खायेच के बेर किहिस – ले दुलरवा बने देख ले नई त मोला भर ठोलत रहिबे। दुलरवा हा किहिस – भौजी तोर मन ले त मोला बिहाव करना हे। मोर मन के थोरै तेमा।

संझा दुलरवा अऊ भौजी दुनों झिन छकड़ा मां घर लहुटीन। रद्दा मां भौजी हा दुलरवा ला पूछिस – दुलरवा तोला बहुरिया मन आइस के नई आइस ? फेर दुलरवा हा कांही नई किहिस। भौजी हा फेर किहिस – दुलरवा देख तेंहा मोला झन पदो। मेंहर तोर मेर हारे बइठे हंव। तेहर त भइया हाथ जोर के पांव लागंव वाला हाना ला आगू करे बर चाहत हस। कइसनों होय आखिरी मां सोनकुंवर हा तोर घरवाली होही। का तेंहर मोला नई बताबे। दुलरवा हा किहिस – भौजी तेंहर फेर रिसाबे। दिरीं हा त अपन बात राखे बर मोला ये नरक मां ढकेलत हस। का तोला ये छोकरी हा बने लागिस। भौजी हा कुछु नई किहिस। बिचारे लागीस – आखिर ओकर छोकरपन हर कब जाही।
गोठिया न, का रिसा गेय भौजी। आखिरी मां भोजी ला बोलेच बर परिस। हहो छोकरी त सुन्दर हे अऊ मोन मन घलोक आगेय हावय। दुलरवा मन मां बिचारे लागीस। अघीर आघू चल के का हे अऊ का देखे बर परही ?

घर पहुंचतेच डेरहा हा किहिस – कैसे देख डारे देरानी। कैसना हावय, अरे महूंला त कांही बतावतव ? भौजी का किहिस – बने हे, फेर दुलरवा हा मोला बने ढंग के कांही नई बताइस। बिगन ओखर कहे हमन हहो कइसे काहन। डेरहा किहिस – वा भई तहूं का बने गोठ ला बताय, का दुलरवा हा तोर बात ला नई केहे सकही। मेंहर त आजेच रमई कका इहां खबर भेजत हौं के हमन तियार हन।

येती दुलरवा के मन मा बड़ोरा आय रिहिस। काम करय। ओला आगू के संसो हा खाय डारत रिहिस हे। इही संसो हा दुलरवा के छाती मां जघा बनाय लागीस। ओखर छाती मा उदुपहा पीरा उठगे। ओह तीन दिन ले कखरो संग गोठिया सके के ताकत नई।

भौजी हा दुलरवा ला मनाय के अड़बड़ बिघ करय फेर दुलरवा त बड़ टेकी रिहिस। ओहा मानबे नई करय। आखरी मां भौजी हा रिसागे, उहू ला दुलरवा के उपदरव के मारे छांव लागीस। ओहा रो डारिस अपन दुलरवा के हेकड़ई ऊपर।

दू, तीन दिन के गेय ले दुलरवा के तबीयत हा कुछुक सुधरिस दुलरवा हा त तीन दिन मां भौजी संग बने ढंग ले काहीं बोले घलोक नई सकिस। ओहर भौजी ला बलाईस । भौजी, ओ भौजी आना ना। भौजी हा भुकुवाय रिहिस। ओहा कहिस – काये, काये। भौजी आ न मोर तीर बइठ। फिर भौजी हा काहत चलदिस के मेंहर का करहूं डाग्डर मेंर जा। दुलरवा हा रो जारिस, आखिर मोर ठिकाना कहां हे। हे भगवान, मोला कहूं अब तेंह फेर भटकाय त... फेर तोरो फिकर नई ये मोला। मेंहर त भौजी के भरोसा...।

भौजी चल दिस त दुलरवा घलोक भौजी तीर जाके बैठगे, फेर भौजी हा नई गोठियाइस। मुक्की भौजी ला देख के दुलरवा हा रो डारिस। भौजी का तेंहर मोला जियन ननई देबे। भौजी हा दुलरवा के ये गोठ ला नई सुने सकिस उहू हा वइसने कहिस जौन ओतका बेर ओला कहिना ठीक रिहिस।

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